Monday, June 4, 2012
Tuesday, May 29, 2012
Saturday, May 26, 2012
Wednesday, May 9, 2012
Thursday, March 1, 2012
ई एम आई
मार्केट में रोबोटिक्स की
नयी किताब आई है
एक 1000 के नोट की
ज़रूरत बन आई है।
मुस्कुराए, और
1000 के दो नोट थमाए
अरे! तुम्हें नहीं मुस्कुराना है
बाकी का गाड़ी में पेट्रोल भरवाना है।
अगले दिन
मित्र के साथ पहुँचे कॉफ़ी शॉप
हमने उन्हें भी ये बात बताई है कि
मार्केट में रोबोटिक्स की
नयी किताब आई है।
मित्र ने इशारा किया,
रोबोटिक्स की किताब
यहीं कॉफ़ी शॉप में ही आई है।
हम उठ कर गए
साथ में पुत्र को देख
गदगद हो गए।
हम तुम्हें वैज्ञानिक बनाना चाहते हैं
चाँद की सैर करना चाहते हैं
तुम कॉफ़ी शॉप में समय बिता रहे हो
अपने चाँद को पृथ्वी घुमा रहे हो।
सच बताओ
सारे पैसे यहीं लगाए हैं
या रोबोटिक्स की
किताब भी लाए हैं।
साहब ने किताब निकाली
किताब का जुगाड़ कर लिया
आप का नाम ले कर
उधार कर लिया।
इसी धुरी पर हर बिजनेस
फूल फल रहा है
जुगाड़ के फोर्मुले से
हिंदुस्तान चल रहा है।
अब जुगाड़ से ही काम चलाना
ये उधार खुद ही चुकाना।
पॉकेट में मनी नहीं है
आपके पास कमी नहीं है
भला मैं कैसे चुकाऊंगा
किस जुगाड़ से काम चलाऊंगा।
यही समय है
समझो क्या है गाढ़ी कमाई
अपनी पॉकेट से ही भरो
इस किताब की ई एम आई।
Wednesday, February 29, 2012
5 साल
निकल रहे हैं बिलों से
सीधे उतर रहे हैं दिलों में।
सातवें मौसम की बयार है
दिग्गज चुनावों के लिए तैयार हैं।
रैली, सभाओं मिलने जुलने का दौर है
प्रचार, परचा, झंडे, भाषणों का शोर है।
फुटपाथ पर बैठा फटेहाल भिखारी बच्चा
पूछ रहा है...
ये सब क्या हो रहा है,
रोटी, कपडा कम्बल कौन दे रहा है?
बेटा, हम लाचार हैं
देने वाले तो अपने सरकार हैं।
ये सरकार कहाँ से आते हैं
हमें रोज़ क्यों नहीं खिलाते हैं?
ये सिर्फ सीज़न में रोट खिलाते हैं
उसी से ये अपने वोट कमाते हैं।
बाकी दिन हड़ताल, बन्द, चक्का जाम कराते हैं
इसी से पूरे देश की नैय्या चलाते हैं।
जो मिल गया है समेट लो वरना ठगे रह जाएँगे
अपने बिलों से ये पाँच साल बाद लौटकर आयेंगे।
सीधे उतर रहे हैं दिलों में।
सातवें मौसम की बयार है
दिग्गज चुनावों के लिए तैयार हैं।
रैली, सभाओं मिलने जुलने का दौर है
प्रचार, परचा, झंडे, भाषणों का शोर है।
फुटपाथ पर बैठा फटेहाल भिखारी बच्चा
पूछ रहा है...
ये सब क्या हो रहा है,
रोटी, कपडा कम्बल कौन दे रहा है?
बेटा, हम लाचार हैं
देने वाले तो अपने सरकार हैं।
ये सरकार कहाँ से आते हैं
हमें रोज़ क्यों नहीं खिलाते हैं?
ये सिर्फ सीज़न में रोट खिलाते हैं
उसी से ये अपने वोट कमाते हैं।
बाकी दिन हड़ताल, बन्द, चक्का जाम कराते हैं
इसी से पूरे देश की नैय्या चलाते हैं।
जो मिल गया है समेट लो वरना ठगे रह जाएँगे
अपने बिलों से ये पाँच साल बाद लौटकर आयेंगे।
Tuesday, February 28, 2012
कोचिंग सेंटर
हमारे पुत्र हमसे आ कर बोले
पिताजी, इक राज़ की बात खोले।
हमने कहा सुनाइए
क्या राज़ की बात है बताइए।
इस एग्जाम में सबका रहा बोलबाला
पर मेरा हो गया है मुह काला।
मैथ्स का साइन कॉज थीटा
फिजिक्स का गामा अल्फा बीटा
पल्ले कुछ नहीं पड़ा, बहुत माथा पीटा।
अब कोचिंग से ही किनारा है
वही इक आखिरी सहारा है।
हमने झाड़ा...
सारा दिन फ़ोन पर लड़कियों से बतियाते हो
सारी मैथ्स फिजिक्स वहीँ क्यों लगाते हो।
हार कर हम कोचिंग सेंटर पहुँच गए
इतने पप्पुओ को साथ देख दंग रह गए।
मास्टर साहब बोले ...
यहाँ पढ़ाने वाले शिक्षक बहुत पुराने हैं
आप गिनिये फीस में कितने शुन्य लगाने हैं।
मैंने फ़रमाया, ये बहुत ज्यादा है
यहाँ पढ़ाने में भला क्या फायदा है।
बोले...
हमेशा हम नए रिकॉर्ड बनाते हैं और
हर वर्ष सैकड़ो पप्पुओं को पास कराते हैं।
पिताजी, इक राज़ की बात खोले।
हमने कहा सुनाइए
क्या राज़ की बात है बताइए।
इस एग्जाम में सबका रहा बोलबाला
पर मेरा हो गया है मुह काला।
मैथ्स का साइन कॉज थीटा
फिजिक्स का गामा अल्फा बीटा
पल्ले कुछ नहीं पड़ा, बहुत माथा पीटा।
अब कोचिंग से ही किनारा है
वही इक आखिरी सहारा है।
हमने झाड़ा...
सारा दिन फ़ोन पर लड़कियों से बतियाते हो
सारी मैथ्स फिजिक्स वहीँ क्यों लगाते हो।
हार कर हम कोचिंग सेंटर पहुँच गए
इतने पप्पुओ को साथ देख दंग रह गए।
मास्टर साहब बोले ...
यहाँ पढ़ाने वाले शिक्षक बहुत पुराने हैं
आप गिनिये फीस में कितने शुन्य लगाने हैं।
मैंने फ़रमाया, ये बहुत ज्यादा है
यहाँ पढ़ाने में भला क्या फायदा है।
बोले...
हमेशा हम नए रिकॉर्ड बनाते हैं और
हर वर्ष सैकड़ो पप्पुओं को पास कराते हैं।
Wednesday, February 1, 2012
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