टूट कर इस कदर बिखर गया
पत्थर जब आईने के घर गया
दिन रात कुछ जला इस तरह
खाक हुस्न कुछ और निखर गया
दिल में बसा रहा खंजर की तरह
उम्र के साथ साथ गहरा उतर गया
ढूँढता किसे हूँ वीरान गलियों में
दोस्ती का ख्वाब उसको अखर गया
-- अश्विनी बग्गा
04 जून 2013
पत्थर जब आईने के घर गया
दिन रात कुछ जला इस तरह
खाक हुस्न कुछ और निखर गया
दिल में बसा रहा खंजर की तरह
उम्र के साथ साथ गहरा उतर गया
ढूँढता किसे हूँ वीरान गलियों में
दोस्ती का ख्वाब उसको अखर गया
-- अश्विनी बग्गा
04 जून 2013