Tuesday, June 4, 2013

टूट कर इस कदर बिखर गया

टूट कर इस कदर बिखर गया
पत्थर जब आईने के घर गया

दिन रात कुछ जला इस तरह
खाक हुस्न कुछ और निखर गया

दिल में बसा रहा खंजर की तरह
उम्र के साथ साथ गहरा उत गया

ढूँढता किसे हूँ वीरान गलियों में
दोस्ती का ख्वाब उसको अखर गया

-- अश्विनी ग्गा
04 जून 2013

Friday, April 26, 2013

बस अब और नहीं

दोस्तों,

दिनांक 25 अप्रैल 2013 को मेरा लेख बस अब और नहीं उदयपुर के मिड डे न्यूज़ पेपर मददगार में प्रकाशित हुआ। लेख का सन्दर्भ हाल ही में दिल्ली में फिर से हुई बलात्कार की घटना एवं उससे जुड़े कई पहलुओं का उल्लेख किया है साथ ही हमारे देश में नारी की भावनाओं का क्या आदर रह गया है, इस लेख को पढ़ कर समझने की कोशिश करें।

धन्यवाद!