Saturday, December 5, 2009

मेरा शहर

दोस्तों,

पिछले दिनों अख़बार में मेरी ग़ज़ल प्रकाशित हुई, खयाल आया की क्यों इसे अपने ब्लॉग पर भी सभी से बाँटा जाए तो लीजिये प्रस्तुत है मेरी ग़ज़ल "मेरा शहर" प्रकाशन तिथि २८-११-२००९, राजस्थान पत्रिका, जयपुर। पृष्ठ संख्या १८.


सही मायने में अभी मैं इस पर और काम करना चाहता हु, मुझे इसे और सवारने की गुंजाईश नज़र आती है। आपकी राय का ब्लॉग पर स्वागत है।

धन्यवाद।

6 comments:

  1. अखबार के नाम और तारीख का भी जिक्र करना चाहिये। उम्दा गज़ल ।

    हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें

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  2. Behad sundar rachna hai!

    Dilonse nafrat mitanee hee chahiye!

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  3. Hamne sab milka apne nasheman,apne shahar ko bachana hoga..nafrat peechhe chhod!

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  4. A gr8 piece of art....deserve to be extended!!!!

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