प्रिय दोस्तों,
अपने क्रम से उल्टा चल रहा हूँ, इसके लिए माफ़ी चाहता हूँ। मेरी एक ग़ज़ल "ज़िन्दगी" राजस्थान पत्रिका में २७-०६-२००८ को प्रकाशित हुई थी, इसे भी आप सभी के साथ बाँटना चाहता हूँ। पढ़िए ज़िन्दगी का लुत्फ़ उठाइए और बताइए की रचना कैसी लगी।
धन्यवाद,
अश्विनी बग्गा।
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